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Wednesday, March 25, 2009

काम

बहुत से काम हैं
लिपटी हुई धरती को फैला दें
दरख्तों को उगायें , डालियों पर फूल महका दें
पहाडों को करीने से लगाएं
चाँद लटकाएं
ख़लाओं के सरों पे नीला आकाश फैलाएं
सितारों को करें रोशन
हवाओं को गति दे दें
फुदकते पत्थरों को पंख देकर नमीं दें
लबों को मुस्कराहट .......

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