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Monday, September 14, 2009

तुमने लिखा............

तुमने लिखी
धरती
और वह हरी हो गई
तुमने आकाश लिखा
और वह नीला हो गया
तुमने सूरज लिखा
और वह छुप गया बादलों की ओट
तुमने चाँद लिखा
वह मुस्कराता रहा रात भर
तुमने हवा लिखी
नहा लिया उसने चंदन पराग
तुमने मुझे ही तो लिखा
बार-बार
लगातार

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