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Thursday, April 15, 2010

तुम्हारे नाम का जल



तुम्हारा नाम
अपने अर्थ की आभा में
चमकता है
जैसे अपने नमक के साथ
धीर धरे सागर हो ,
धैर्य की अटूट परम्परा में
तुम्हारे नाम का वजूद
समय के ठोस अँधेरे को भेदकर
रौशनी की तरह फैलता है
और मै कतरा कतरा नहा उठती हूँ ,
तुम्हारे नाम की बारिश में
बिना छतरी के
मै भीगती हूँ ;नंगे पांव ,
साइबेरियन पंछियों की तरह
तुम्हारे नाम का जल
क्यूँ बुलाता है मुझे बार बार
मै चली आती हूँ मीलों मील
बिना रुके बिना थके
तुम्हारे नाम का अर्थ
धारण किये
तुझमे विलीन होने को आतुर
मै सदानीरा .


girl in rain

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